देश चल रहा है। चल रही हैं व्यवस्थायें जैसे-तैसे। व्यवस्थायें जैसे-तैसे न चल रही होतीं, तो मृतक व्यक्ति की अंत्येष्टि में गये 24 लोग श्मशान के गलियारे की छत गिरने से उसके नीचे दबकर असमय नहीं मरते। क्या स्थिति है! क्या घटना घटी है! देख-सुन कर सुन्न-खिन्न होने के अलावा जैसे कुछ बचा ही नहीं सज्जन एवं संवेदनशील नागरिक के पास। टूटी छत के मलबे के नीचे दबकर मरनेवालों को इस अप्रत्याशित मौत का क्या पता था! वे बेचारे तो मनुष्य जीवन के सर्वाधिक पुण्य कर्म में अपनी भौतिक सेवायें देने के लिये एकत्र थे। वे मृतक और उसके परिजनों के प्रति भावनात्मक लगाव के कारण वहां एकत्रित हुये थे। नगर निगम की अधिशासी
अधिकारी, अभियंता, पर्यवेक्षक, ठेकेदार, इत्यादि सभी लोग पुलिस की हिरासत में हैं।
शासन की प्रतिक्रिया
इस घटना पर अति कठोर है। परन्तु यह घटना
जिस भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण
घटी है, उसका दायित्व
भी शासन पर ही है। इसलिये
मुख्यमंत्री को पूछा
ही जाना चाहिये
कि आपके सुशासन
में ऐसा भ्रष्टाचार
क्यों हो रहा है,
जहां धन के लालच में 55 लाख के गलियारे को इतनी कच्ची भवन सामग्रियों की सहायता
से बनाया जाता
है कि वह उपयोग के पन्द्रह
दिन बाद ही टूट जाता है। अपने नीचे खड़े 40
लोगों को दबा लेता है। 24 को जान से मार देता है और 14
को बुरी तरह घायल कर देता
है। वह तो शुक्र है कि छत पर कोयी
व्यक्ति खड़ा नहीं
था। यानी गलियारा
इतना कच्चा था कि बारिश का पानी पड़ते ही धरधरा कर गिर पड़ा। यह घटना साधारण नहीं
है। इससे राज्य
और राष्ट्र के भ्रष्टाचारियों की एक नयी प्रजाति का पता चलता है। श्मशान में स्थित
गलियारे के टूटने-गिरने
से 24 लोग मरे
हैं। इन लोगों
के परिजनों पर क्या
बीत रही होगी! इन
लोगों का मुहल्ला
किस नारकीय स्थिति
में होगा! दूर खड़ा
कोयी भी यह ढंग
से नहीं समझ सकता।
अतः मृतकों
के परिजनों के अनंत
दुख को कम करने
के लिये शासन को
अभूतपूर्व पहल करनी चाहिये।
सभी दोषियों को कठोर
से भी कठोरतम
दण्ड तत्काल देना चाहिये। |
The country is moving. Systems are running anyway. If the arrangements were not going on anyway, 24 people, who went to the funeral of the deceased, would have not died untimely by falling the roof of a corridor of the crematorium. What strange situation is this! What incident took place! Apart from being numb-disheartened by seeing and listening this, nothing is left to a gentleman and a sensitive citizen. What did the dead 24 know about their unexpected death, buried under the wreckage of the broken roof! Those poor people were gathered to give their services in the most virtuous deeds of human life. They have had gathered there because of their emotional attachment to the deceased and his family. The culprits Executive Officer of Municipal
Corporation, Engineer, Supervisor, Contractor, etc. are in police custody.
The reaction of the government is very harsh on this incident. But the
corruption and negligence, due to which, this incident has happened, is also
the responsibility of the government. That is why the Chief Minister should
be asked that why such corruption is happening in your good governance, where
to the greed of money, a corridor of 55 lakhs, is built with the so much rough
building material that it breaks down after fifteen days of inauguration for public use. Corridor Suppresses
40 people, standing below it. Kills 24 and injures 14. Thankfully, there was
no one standing on the roof. That is, the corridor was so weak that as soon
as the rain water poured on, it fell down. This phenomenon is not ordinary. This
reveals a new species of corrupt people in the state and the nation. The
cremation ground at the crematorium has left 24 dead. What must be passing on
the families of these passed away people! In what hellish condition will these people's
colony be! Any person standing far from this deadly scenario cannot
understand sorrow. Therefore, the government should take
unprecedented initiative to reduce the endless suffering of the families of
the dead. All the guilty persons should be punished even from the harshest. |