वैसे तो लोग एक दिन की
बातों और उपलब्धियों को अगले दिन से भूलने लगते हैं। लेकिन एक दिन की इन
उपलब्धियों पर अगर सिर्फ एक दिन जीवन जीने वालों के हिसाब से सोचा जाए तो यह एक
दिन बहुत बड़ा जाता है। यह दिन जीवन से भी विशाल हो जाता है। अचानक इसका आकार इतना
बढ़ जाता है कि इस एक दिन की बातें, घटनाएं
और उपलब्धियां इतिहास बन जाया करती हैं।
आज का दिन ऐसा
ही था। विशेषकर भारतीय लोगों के लिए यह दिन खेलों की सबसे बड़ी वैश्विक प्रतियोगिता
ओलम्पिक खेल में अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा। आज भारतीय कुश्ती की महिला पहलवान
साक्षी मलिक ने ओलंपिक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त कर तांबे का पदक
जीता। इसके बाद बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने ब्राजील के रिया डी जेनेरियो में
चल रहे ओलंपिक खेलों की बैडमिंटन प्रतिस्पर्द्धा के सेमि फाइनल में जापान की
खिलाड़ी नोजोमी ओकूहारा को सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 से हराकर इस प्रतिस्पर्द्धा के फाइलन में
स्थान पक्का कर लिया। इस विजय के साथ सिंधू ने भारत के लिए महिला बैडमिंटन में
रजत पदक सुनिश्चित कर लिया। यदि पीवी सिंधू फाइनल में भी विजय प्राप्त करती हैं
तो वे ओलंपिक में बैडमिंटन की प्रतिस्पर्द्धा में भारत के लिए प्रथम स्वर्ण पदक
विजेता होंगी।
आज
एक अरब पच्चीस करोड़ की जनसंख्या वाले भारत देश में साक्षी मलिक और पीवी सिंधू
चमकते सितारे बनकर उभरे हैं। जब तक इस वर्ष के ओलंपिक खेल चलेंगे और जब तक इन
खेलों का खुमार लोगों पर चढ़ा रहेगा तब तक साक्षी और पीवी भारतीय लोगों के दिलों में
राज करेंगी। विभिन्न खेलों के खिलाड़ी और खेलप्रेमियों के लिए तो ये देवियां खेल
विभूति बन चुकी हैं।
आइए
हम सब इस उपलब्धियों से भरे और रक्षा बंधन त्यौहार के साक्षी दिवस को जीवनभर गले
से लगाकर रखें। अपने बच्चों और हर योग्य बच्चे को खेलकूद और पढ़ाई में आगे बढ़ाने
का संकल्प लें। साथ ही सरकार को इन देवियों की उपलब्धियों से प्रेरित होकर आज यह
संकल्प लेना चाहिए कि देश में प्राइवेट स्कूलों में जिस तरह पढ़ाई के नाम पर
लूट-खसोट मची हुई है, वह उस पर तात्कालिक रूप से कोई कठोर कदम उठाए और निजी और सरकारी दोनों
तरह के विद्यालयों को बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के माध्यम के रूप में ही
विकसित करें।
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